Adhure Hum... - 1 in Hindi Love Stories by Aradhana books and stories PDF | अधूरे हम.. - 1

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अधूरे हम.. - 1



दिल्ली की वो सुबह ठंडी थी, पर हल्की नहीं।

सर्द हवाओं ने शहर को ढक रखा था, जैसे किसी पुराने ज़ख्म पर फिर से पट्टी बंध रही हो। लेकिन कुछ जख्म ऐसे होते हैं जो ठंड में और भी ज़्यादा जलते हैं।

एक आलीशान अपार्टमेंट की तीसरी मंज़िल की बालकनी में एक लड़की चुपचाप खड़ी थी — कंधे पर शॉल लपेटे, बाल बिखरे हुए, आँखें नींद से भारी… पर दिल, सालों से जागा हुआ।

सिद्धि।
नाम जितना शांत, ज़िंदगी उतनी ही तूफ़ानी।

उसकी आँखों के नीचे हल्के से काले घेरे थे — नींद की कमी से नहीं, बिखरी हुई मोहब्बत और अधूरी बातें सहेजने से।

दीवार पर टंगी एक पुरानी तस्वीर पर उसकी नज़र गई। माँ, पापा, और बीच में वो — सोलह की उम्र, आँखों में ख्वाब और होठों पर बेफिक्री।
आज वो सब कहीं नहीं था। बस तस्वीर थी… और एक सवाल —
"क्या कोई मुस्कान वक़्त के साथ तस्वीरों में ही रह जाती है?"


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📍 उसी वक़्त, दिल्ली की एक और गली...

एक काली SUV धीरे-धीरे बंगले के सामने आकर रुकी।
टायर की रगड़ और ब्रेक की आवाज़ से शहर की शांति थोड़ी देर के लिए टूट गई।

दरवाज़ा खुला।

थाकुर रिधर्व राठौड़।
एक नाम, जो अपने साथ सन्नाटा लेकर चलता था।
एक चेहरा, जिसे देख कर वक़्त भी कुछ पल रुक जाए।

उसने काले चश्मे को उतारा, हवा में एक गंध आई — यादों की, बीते वक़्त की, और शायद किसी वादे की जो कभी पूरा नहीं हुआ।

सिद्धि की खिड़की वहीं सामने थी। वो देख रही थी।
पर इस बार उसका दिल धड़क नहीं रहा था — उसका दिल चीख रहा था।

"तू लौटा है… लेकिन क्यों?"


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4 साल पहले की तस्वीर अब फिर से रंग लेने लगी थी उसकी आँखों में।
वही स्टेशन की भीड़, वही वो चेहरा… और वही वो लम्हा जब किसी ने कहा था —
"तुम्हारी आँखों में सुकून है, लेकिन तुमने खुद को कभी पढ़ा नहीं।"

वो रिधर्व था।

एक ऐसा लड़का जो ज़ुबान से कम, आँखों से बात करता था।
उसकी चुप्पी में भी कहानी थी, और उसकी कहानी में साज़िश।
सिद्धि के लिए वो एक किताब बन गया — जिसे वो पढ़ना भी चाहती थी और फाड़ भी देना चाहती थी।

पर पढ़ते-पढ़ते एक दिन वो खुद उसी किताब का हिस्सा बन गई।


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आज, जब वो SUV से उतरा, और उसी बंगले की ओर बढ़ा जहाँ वो सालों पहले आखिरी बार गया था — सिद्धि की आँखों में हज़ार सवाल थे:

क्या उसे भी याद है?

क्या वो भी टूटा था?

और अगर टूटा था… तो ये लौटने की ज़रूरत क्यों?



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📍 साउथ दिल्ली – एक पेंटहाउस

“Raunak! Uth ja yaar, Siddhi ka message aaya hai…”

Raunakya Sehgal.
Siddhi ka college best friend. Artist. Flirt. Par jo uske साथ उस वक़्त भी खड़ा रहा, जब सबने उसे गलत समझा।

तकिए में मुँह छुपाए उसने मुस्कुराते हुए कहा —
"Let me sleep 5 more minutes… unless it’s Siddhi."

"Exactly bro, it IS Siddhi."

उसने तुरंत आँखें खोलीं।
Screen पर एक पुराना नाम चमक रहा था — Siddhi Calling…

उसके हाथ काँपे नहीं, पर उसकी मुस्कान थोड़ी ढल गई।

"She finally called… चार महीने, 21 दिन, और 16 घंटे बाद…"


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📖 सिद्धि की डायरी – उसी रात

> "आज रिधर्व को देखा।
वो वैसा ही है… थोड़ा और चुप, थोड़ा और सख़्त।
लेकिन उसकी चाल में अब भी वही वादा है —
जो उसने कभी पूरा नहीं किया…
या शायद मैं ही वो वादा थी, जिसे उसने अधूरा छोड़ा।"




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📍 Flashback – 3 साल पहले

Siddhi और Ridharv की पहली मुलाकात हुई थी कॉलेज के इवेंट में — जब दोनों का नाम अनजाने में एक ही डिबेट टीम में डाल दिया गया था।

सिद्धि – fiery, outspoken, bold.
रिधर्व – calm, observant, dangerously quiet.

पहली बातचीत में ही उसने कहा था —
"तुम बोलती बहुत हो, लेकिन सुनने का हुनर कम है।"

वो जली थी, पर उसे झेलने का मन किया।


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📍 Present day – रात, 9:47 PM

सिद्धि ने अपने बाल बांधते हुए शीशे में खुद को देखा।
वो अब वो लड़की नहीं रही थी — जो रिधर्व के सवालों से डरती थी।
अब वो अपने सवाल लेकर खुद चल पड़ी थी — एक जवाब की तलाश में।

उसने Raunak को कॉल किया।

"Hi… can we meet tomorrow?"

Raunak चुप रहा… फिर बोला:

"Kal nahi Siddhi… aaj.
Main aaj raat 10:30 बजे उसी कैफ़े में हूँ जहाँ तुमने मुझे आखिरी बार देखा था —
उस दिन जब तुम रो रही थी, और मैंने तुम्हारी कॉफी ठंडी नहीं होने दी थी।"


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📍 रात, 10:34 PM – Café Lavender, Khan Market

Siddhi बैठी थी — corner window seat पर।
Same table. Same candle. Same सवाल।

Raunak आया — सफेद शर्ट में, पर चेहरे पर हल्की थकान।

"Hi," उसने कहा।

"Hi," Siddhi ने बिना आँख मिलाए कहा।

"तो… क्या याद आया मुझे?"
उसका सवाल हल्का था, पर भावनाएँ गहरी।

Siddhi ने पहली बार आँखें उठाईं।
"Raunak, मुझे तुमसे कुछ पूछना है…"

"पूछो।"

"अगर कोई 4 साल बाद लौटे… बिना कुछ कहे, बिना कुछ पूछे —
क्या तुम उसे फिर से अपनी ज़िंदगी में जगह दोगे?"

Raunak थोड़ा चुप रहा… फिर बोला:
"अगर तुम वो हो, तो हाँ।"
"अगर वो Ridharv है, तो तुम्हें खुद से पूछना पड़ेगा – क्या तुम अब भी अधूरी हो?"


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To Be Continued...
(Agla part: Siddhi ka Ridhav se pehla actual face-to-face, aur ek diary page jisme us raat ka raaz likha hai)